दूर ले जाएगी हमको
ये बेरुख़ी तेरी
तेरा याद न करना
मुड़ के न देखना
न कोई गिला शिकवा
न शिकायत करना
वो मोगरे का गजरा
पारिजात का झड़ना !
खलती है मुझे
कमी तेरी
सुबह का सलाम
दिन भर की बातें
फूलों की ख़ुशबू
बरसातों की रातें
रंगीन काग़ज़ में लिपटे
वो तोहफ़ों के डिब्बे
तू भूल गया तू
मैं न भुलाऊँगी
वो पारिजात फिर झड़ेंगे
हम तुम ज़रूर मिलेंगे ...!!
@ Vaisshali