इस साल के वैश्विक महामारी में खुद को बचाना है,
हर वक्त हर लम्हा अपनों संग बिताना है।
छोड़ देनी है वह सभी कारणों को जो यह कहती कि वक्त कहां है।
बच्चों में यु घुलना है, मानो दूध में मिश्री तभी तो जीवन का मिठास मिलेगा, वक्त ठहरेगा।
जो ढूंढते थे खाने में स्वाद,
वो आज स्वाद के उस्ताद बन गए।
जो रसोई में न जाते थे, वो आज सैफ बन गए।
वृद्धों का रखना है खास खयाल, क्योंकि वह शान होती है, आन होती है ,वही तो घर की जान होती है।