दोस्तों...
1st Time 'हिन्दी' में एक 'कहानी' प्रस्तुत कर रही हूँ.आप के प्रतिभाव(अच्छे-बुरे)की अपेक्षा रखती हूँ...
सदमा
यशोदा: "अजी सुनते हो...
गंगाराम ने आत्महत्या कर ली..."
कनैयालाल: "क्या...??? जो हमारी सोसायटी में सब के बंगले में सुंदर बगीचे बनाने आते थे, वो बूढ़े मालीचाचा के बारे में बता रही हो... ???"
यशोदा: "जी हाँ, वही मालीचाचा...
कनैयालाल:"अरे... वो तो कितने इमानदार और खुद्दार थे... मुझे याद है एक बार मेरी 2000Rs की नोट बगीचे में गिर गई थी,और उन के लौटाने पर मैंने 500Rs की नोट बक्षिस देने के लिए जेब से निकाली तब दो हाथ जोड के मना कर के चले गए थे...
यशोदा: 'Lock Down' की वजह से 40 दिनों से कोई कामधंधा नहीं था, जैसे तैसे गुज़ारा कर लेते थे.
जिस बेटे को अपना पेट काटकर पढा लिखा के 'बड़ा आदमी' बनाया उस 'नालायक, निकम्मे और निठल्ले' बेटे ने तो इसी शहर में आलिशान फ्लेट में रहेने के बावजूज भी कभी उनका हाल तक नहीं पूछा...
पर आज...एक "सेवा करनेवाले दानवीर ग्रुप"(!!!) ने 'दो केले' दे कर गंगाराम की सेल्फी खींची और FB पे Up Load कर दी.वो गंगाराम के बेटे ने देखी और फौरन आग बबूला होते हुए गंगाराम की कुटिया में आया.
और आते ही गंगाराम को बहोत खरी-खोटी सुनाने लगा कि... "भीख माँगते हुए आप को ज़रा भी शरम ना आई...?
एक बार भी मेरी Position के बारे में नहीं सोचा...??
अब मैं मेरे Friend Circle में क्या मुँह दिखाऊँगा...???"
यशोदा: "बेचारे गंगाराम...ये सदमा सेह
नहीं पाए और बेटे के जाते ही अपने हाथ की नब्ज़ काट के जान दे दी...
कहानी के अंत में मैं एक बात ज़रुर कहेना चाहुँगी...
मुठ्ठीभर अनाज देकर गरीबों का मजाक उडानेवालों, कुछ तो शर्म करो...
सेल्फी लेकर उन बेचारों की मजबूरी का फायदा तो मत उठाओ...🙏