*जिंदंगी*
*कुछ गुज़री,*
*कुछ गुज़ार दी,*
*कुछ निखरी,*
*कुछ निखार दी,*
*कुछ बिगड़ी,*
*कुछ बिगाड़ दी,*
*कुछ अपनी रही,*
*कुछ अपनों पर वार दी,*
*कुछ इश्क में डूबी,*
*कुछ इश्क ने तार दी,*
*कुछ दोस्त साथ रहे,*
*कुछ कसर दुश्मनों ने उतार दी,*
*बस...*
*ज़िन्दगी जैसी मिली मुझे,*
*ज़िन्दगी वैसी ही गुज़ार दी..*
शुभ सवार जय श्री राधामाधव,,,,