जब जम्बूद्वीप में ऋषि-मुनियों के अनुष्ठानों में रक्त-माँस के टुकड़े-हड्डियां डाल, दैत्य मानव स्वतंत्रता का हनन कर रहे थे, तब अयोध्या के दो किशोरों ने बाणों से दानवों को भेदकर धरा पर शांति कायम की और कुछ समय बाद ही दक्षिण में स्थित राक्षसों के गढ़ लंका के शक्तिशाली साम्राज्य को परास्त किया।
श्री कृष्ण द्वारा म्लेच्छ हो चुके कालयवन का वध भी इस भारतवर्ष की स्वाधीनता बनाए रखने में एक आहुति थी।
समय बदला.., जब विश्वविजेता 'सिंकदर' पारस को घोड़ो की टापों में रौंदते हुए भारत को जीतने आया तो पोरस के हाथियों ने यूनानी फ़ौज के सपने कुचल दिए।
चन्द्रगुप्त और अशोक ने आर्यवर्त को वो शक्ति बनाया जिस पर आंख उठाकर देखने का शत्रु में ताप न था।
विक्रमादित्य ने घुसपैठियों को रेगिस्तानों तक खदेड़ा। पुष्पमित्र शुंग ने आक्रांताओं को ऐसी मार लगाई की वर्षो तक भारतवर्ष पर विदेशी आक्रमण नहीं हुए।
700 ईस्वी से शुरू हुई इस्लाम की खूनी आंधी, जिसने देखते ही देखते महाद्वीप का बहुत बड़ा भूभाग अनेकों सभ्यताओं को रौंदते हुए हरे झंडे के नीचे कर लिया.., उन जल्लादों को, उदय के 400 साल बाद, 'चौहान' की हार के साथ पहली बार भारत में घुसने का मौका मिला।
लेकिन इसके बावजूद भारतभूमि से स्वतंत्रता का संघर्ष कभी खत्म नहीं हुआ..
राणा सांगा, हेमचंद्र विक्रमादित्य, महाराणा प्रताप, राजसिंह, वीर दुर्गादास, वीर शिवाजी, बाजीराव, छत्रसाल जैसे असंख्य नामों ने शोणित की नदियां बहाकर स्वतंत्रता की ज्योति को पराधीनता से जूझते भारत में जगाए रखा।
1857 की क्रांति, नेताजी सुभाषचंद्र बोस का संघर्ष, भगतसिंह, बिस्मिल, अशफ़ाक़ उल्लाह, चन्द्रशेखर आज़ाद का बलिदान इस मातृभूमि की स्वाधीनता को समर्पित था।
सबसे प्राचीनतम देश व इतनी विशाल परिसीमा और हज़ारों सालों के संघर्ष के बावजूद आज भी हमारी भूमि का अधिकांश हिस्सा हमारे पास है। कितने ही देश-सभ्यताएं मिट गई लेकिन हमारी संस्कृति आज भी जीवित है। इतने क्रूर नरसंहारों, अनगिनत मानसिक, आर्थिक और शारीरिक प्रताड़नाओं के बाद भी यदि हमारी कौम आज भी बहुसंख्यक है, तो हम कृतज्ञ हैं हमारे पूर्वजों और उन असंख्य बलिदानों को प्रति। उन्हें भूल कर इस पावन भारतभूमि के पिता की उपाधि किसी अय्याश बूढ़े को देना घोर पाप है और असहनीय है।
स्वतन्त्रता के बाद से ही देश की जाबांज सेना देश की सुरक्षा व सेवा में तत्पर रह यह सुनिश्चित कर रही है कि राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक की स्वतंत्रता जीवित रहे। उनके ही बलिदानों का परिणाम हमारा शांति और सुकून भरा जीवन।
इसलिए अपनी स्वतंत्रता के वास्तविक नायकों को पहचानिए और उन्हें नमन कीजिए इस स्वाधीनता के लिए.. क्योंकि आज जो कुछ भी एक राष्ट्र के रूप में हमारे पास है, वो उन्हीं के पुरुषार्थ और बाहुबल का प्रतिफल है, न कि किसी चरखे या टोपी का।
स्वतंत्रता पर्व की शुभकामनाएं
जय हिंद-जय भारत ❤️
जय श्री राम ?