१.) चाहता तो में भी उसे बदनाम कर सकता था,
पर किया नहीं, आखिर वोह महोबत थी मेरी ।
करता तो लोगो को प्यार से भरोसा उठ जाता,
और जहां भरोसा ही ना हो वोह महोबत कैसी ।
२.) दिल जलाना चाहा मैने अंगारोमे आग भरकर,
यादे पिघलती रही और आग ठंडी पड़ने लगी ।
३.) बेशक वो फरियाद करे अपनी बेगुनाही के लिए,
हम भी तो देखे और कितने दिल बरबाद करेंगे ।
४.) जान पे भी बन आए तो हम आह तक न करेंगे,
जान दे देंगे, पर उसे रोता हुए केसे देख पाएंगे ।
- मिलन लाड़