शहीदी पर रोने वालों
दो दिन मै सब कुछ भूलने वालों
खुद की बात मनवाने वालों
दिखावट की जिन्दगी जीने वालों
एक दिन के लिए इंसान बनो
ओ इंसानियत दिखाने वालों
एक दिन के लिए तुम भूल जाओ
नाम तुम्हारा काम तुम्हारा
जात तुम्हारी जन्म तुम्हारा
एक दिन के लिए बस बन जाए
धर्म तुम्हारा कर्म तुम्हारा
आँसू किसी के शर्मा तुम्हारा
एक दिन के लिए इंसान बनो
ओ इंसानियत दिखाने वालों
एक दिन तो बस करो प्राथना
एक दिन तो बस करो उपवास
एक दिन तो पेट भरो औरों का
एक दिन जियो बिना कोई आस
एक दिन के लिए इंसान बनो
ओ इंसानियत दिखाने वालों
भूल जाओ पहचान तुम्हारी
दुश्मनों के बनो आभारी
छोड़ दो सपनो का पीछा
अपनो के na बनो अधिकारी
करो ना तुम कोई शृंगार
छोड़ दो सारी ऐयारी
एक दिन तो जियो बन के इंसान
ओ इंसानियत दिखाने वालों
औरो की दुहाई देने वालों
दूसरो की बुराई करने वालों
छोड़ अहंकार जीवन से जूडो
ओ जीवन को दोष देने वालों
स्वार्थ करो ना बस एक दिन
तुम चाहे जो भी दो या लो
एक दिन तो जियो बन के इंसान
ओ इंसानियत दिखाने वालों
चलो एक दिन हम ऐसा बनाए
मिल कर हम तुम यह देश सजाए
आतंक की सोच का करे खात्मा
घृणा, जिहाद इतिहास बनाए
प्रेमलय पृथ्वी को बनाकर
करुणा का सागर बनाए
बस एक दिन जिए इंसान बन कर
एक दिन के लिए खुदाई संभालो
ओ इंसानियत दिखाने वालों
एक दिन के लिए बस खुदाई संभालो