प्रेम तन का स्पर्श नहीं;मन का स्पंदन है।
हृदय की आवाज़ है;धड़कन का वंदन है।।
प्रेम पाने का नाम नहीं;संपूर्ण समर्पण है।
भावनात्मक लगाव है;आत्मीय नमन है।।
प्रेम प्रदर्शन की वस्तु नहीं;साफ़ दर्पण है।
दिखावा से दूर है;साक्षात् दैवीय दर्शन है।।
प्रेम आकर्षण नहीं;अद्भुत अपनापन है।
साँसों का सरगम है;शाश्वत अभिनंदन है।।
प्रेम परिणय नहीं;परिशुद्ध प्रतिवेदन है।
प्राण-प्राणप्रिय का मेल है;मनभावन है।।
प्रेम प्रतियोगिता नहीं;सहर्ष अनुकरण है।
प्रेमी का दृष्टिकोण है;प्रेमिका का नयन है।।
प्रेम सौन्दर्य नहीं;चारित्रिक सौंदर्यीकरण है।
विश्वास की ज़मीन है;व्यावहारिक गगन है।।
प्रेम आँखों की नींद नहीं;रात्रि का जागरण है।
वाणी की मिठास है;नाम का ताउम्र स्मरण है।।