कहा भी इस तरह समझाना गलत है |
पर यही सही लगा होगा ईश्वर को |
कि जुठ के जाले कीतने ही क्यु न हो,
सत्य की तलवार हर उस जाले को तोड सकती है |
न कुछ देखा, न कुछ सुना समझा |
लग पडे थे इशारों पर नाचने |
ये भी न सोचा कि नुकसान पहोंचा है या नहीं |
तो बदला ले सही रहेता पररर,
ये भी न सोचा क्यु करवाया जा रहा !
अपने खुद को देखो ईश्वर ने दिया दिमाग है,
अच्छा सोच सको कर सको |
पर बीना कीसी संबंध के लग पडे |
न डराया, न धमकाया, न जबरदस्ती करी फिर भी |
बस कथपुतली बन बीना सोचे लगे करने |
इसलिए हर बार कहा क्या कर रहे है उठे जागे |
पद पद पर समझाया पररर न जागे |
कीतना भरा पडा है जुठ देख लीया !
अपशब्द बोलना मुजे पसंद नहीं,ना ही मेरी सोच |
पर जैसे को वैसा मीले सोच कर लीया |
न्यायालयका दरवाजा खटखटाना भी चाहा |
पर ईश्वर ने कहा कीनसे लडोगी !
सोच से धूल हटानी है बस,
जुठ का धूंआ जो चारों तरफ फैला है वो हटा सच दीखा |
बस यही कीया, सब साफ साफ दिखा दिया |
जो है वो सब सामने है, आमने सामने की बात भी बीच को लाकर खडा कीया ये गलत कीया |
इसलिए तो रब के और आपके बीच दुरी थी वो मीटाने का बस जरीया बनी उनसे ज्यादा कुछ नहीं |
अब सब आमने-सामने हैं जीनको जीतना जो समज आया हो जीतना लेना है उतना ईश्वर से ले सकते हो |
सब कुछ साफ है अब आप को जीनसे रुबरु होना है हो जाओ सीखना सीखो |
बस ये अलत पट्टी या गलत सोच थी उस पर से पर्दा हटाना था |
आज भी सीख रही पर नेक सोच के चलते आगे दीखु बस इतना ही फर्क है |...ॐD