#kavyotsav
आंखों के ख्वाब मिटा दूं रात भर जागकर,
पर दिल के ख्वाब मिटाऊं कैसे।
आहट पाते ही जिसकी मातम छा गया,
उसके जीवन की आश लगाऊं कैसे।
बड़ी जहमत से जवां हुआ ये फूल,
दुनियां की नजर इस से हटाऊं कैसे,
दरिंदों की नीयत तो कहीं भी डोल जाती है,
चेहरा नकाब से छुपाऊं कैसे।
खुदा का सौदा कर लिया धर्म के इजारेदारों ने
खिदमत की गुहार उससे लगाऊं कैसे ।
जोश चाहिए जिगर में ये दौर बदलने की खातिर,
बगावत के लिए उन्हें उकसाऊं कैसे।
आवाज उठाने की खातिर दिल बेताब है मेरा,
पर समाज से दामन छुड़ाऊ कैसे।
उसकी जंग का एक लम्हा सब कुछ बदल देगा ,
बेटी के दुश्मनों को ये समझाऊं कैसे।
बेटी ही साथ देने चली बेटी के कातिलों का,
फिर रोज मरती बेटियां बचाऊं कैसे।