इस युग में राम नहीं तो रावण ही बन जाओ
क्यों दिखाते हो एक ही चेहरे तुम्हारे भी दस
उसने हरण किया छुआ नहीं
तुम तो नजरों से ही चीर हरण कर लेते हो
वो रणभूमि में लड़ा
तुम रसोई बैठक बिस्तर महफ़िल सबको जंग का
मैदान बना देते हो
साल में एक ही बार ही जलता है वो
तुम तो उनकी कामयाबी पर हर पल जलते हो
उसने शिव की मोहब्बत में अपने सिर कुर्बान किए
तमाम उम्र तुम पर कुर्बान होती है मां
उसके सदके में क्या तुम भी कभी सिर झुकाते हो
इस युग में राम नहीं तो
रावण ही बन जाओ.....!!!
happy Dashra RoHiT KI Aur se
Good morning lotus 🪷 special