नारी ...
केवल एक शरीर ही नहीं प्रेम को भी जन्म देती है,
वह फूल भी है और अग्नि भी।
वह अपने मौन से भी हजारों बातें कह सकती है।
उसे मापा नहीं जा सकता जैसे समुद्र को नहीं मापा जा सकता।
उसे दबाने की कोशिश सूरज को मुट्ठी में बंद करने जैसा है।
उसका आलिंगन मृत्यु को भी जीवन दे सकता है ।
'नारी' को जिसने समझ लिया मानो.. सब कुछ समझ लिया ।
- Soni shakya