मैं चुलबुली सी लड़की,
तुम शांत समझदार प्रिये,
मैं हंसी की खनक हूँ,
तुम सुकून की पुकार प्रिये।
मैं तितली बन उड़ती फिरूँ,
तुम ठंडी छाँव का पेड़ हो,
मैं बेताबियों की लहर हूँ,
तुम ठहरे सागर का भेद हो।
दो धड़कनों की अलग ज़ुबान,
पर सुर वही एक सा,
मैं अधूरी तुम बिन,
तुम बिन मैं क्या, प्रिये?