मैं तुम्हे शब्दों से नहीं इंतजार से लिखूंगी
प्यार से नहीं इजहार से लिखूंगी
लिखूंगी इस तरह जैसे तेरे अलावा
कोई पढ़ न पाए मेरे अल्फ़ाज़ को
हवाओं के साथ बहती राग सा लिखूंगी
एक मुलाकात, तुम्हे अपने पास लिखूंगी
बहकी हुई सांसों के आज से लिखूंगी
धड़कनों के हर एक पुकार में लिखूंगी
लिखूंगी ऐसे जैसे सुबह का नया सवेरा हो तुम,
ढलते हुए शाम में सुकून का पैगाम लिखूंगी ....
- Manshi K