रोना अच्छा लगता है अब मुझे,
कम से कम आँसुओं में सुकून तो मिलता है..
मैं मुस्कुराऊँ कोई ऐसी दुआ मत करना,
मुस्कान के पीछे छिपे ज़ख़्म कौन देख पाएगा?
लोग कहते हैं, आँसू कमज़ोरी हैं,
पर मैं जानती हूँ यही मेरी ताक़त हैं...
जब-जब टूटी हूँ, इनकी गोद में सँभली हूँ,
वरना मुस्कान तो बस एक नक़ाब होती है चेहरे पर....
- Manshi K