हमारी नजर उन पर से हटती नहीं।
और उनकी है जो हम पर ठहरती नहीं।
समंदर क्या जाने , नदी के जज्बातों को।
जो खुद को खो लेती है,पाने की आस खोती नहीं।
अपने हर जर्रे को समंदर में बहाकर ।
घुल जाती है,अपने अस्तित्व को गवाकर।
एकतरफा प्यार करना उसकी ख़ुशनसीबी है।
यह भूल कर कि समंदर का खारापन उसकी फितरत है।