कैसे कहूं कि माँ
तुम्हारी बहुत याद आती है,
वो गर्म गर्म चूल्हे के फुल्के,
आँख खुलने से पहले गर्म चाय का आना, आज भी पीती हूँ चाय,
खाती हूँ खाना,
पर चाय में वो स्वाद न रहा और,
खाना भी माँ गर्म न रहा,
सबको खिलाने के बाद जब,
थक सी जाती हूँ, भूख नहीं लगती माँ, तुम्हारी याद आती है।
इस बार आऊं जब रुकने का,
बहाना बना लेना,
मैं ना ना करती रहूं और,
तुम चाय बना लेना।