अफ़वाहें, मोहब्बत और खामोशियाँ…
“अफ़वाहें उड़ रही हैं आज भी कई,
कि वो मुझसे फिर भी जुड़ रही…”
ये पंक्तियाँ उस अधूरी मोहब्बत की हैं, जो कहकर नहीं, महसूस कर के जिया जाता है।
यह शायरी ली गई है मेरी आने वाली किताब “Kathgodam Ki Garmiyan – 2” से —
एक ऐसी कहानी, जहाँ प्यार खामोशी में बोलता है, और जुदाई भी जुड़ाव जैसी लगती है।
कभी-कभी दो लोग एक-दूसरे से दूर होते हुए भी,
इतने करीब होते हैं कि…
अफ़वाहें भी सच लगने लगती हैं।
अगर आपने Kathgodam Ki Garmiyan पढ़ी है —
तो ये दूसरा भाग और भी गहरा, और भी सच्चा लगेगा।
और अगर नहीं पढ़ा,
तो शायद अब वक़्त आ गया है, ख़ुद से मिल लेने का…
📖 Coming Soon.
🖋️ By Dhirendra Singh Bisht
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