ज़िंदगी एक सफर है, ठहराव नहीं,
हर मोड़ पर एक नया इम्तहान सही।
कभी धूप सी तपती है ये राहें,
कभी चाँदनी सी चुपचाप बहा ले जाए।
सपनों के पीछे भागते रहे हम,
हर रात को दिन बनाने की कसम।
कभी टूटा, कभी संभला, फिर चला,
हर गिरने के बाद खुद से मिला।
माँ की ममता, बाप की डाँट,
दोनों में ही छुपा था प्यार का पाठ।
भाई की लड़ाई, बहन की हँसी,
बचपन की वो यादें अब लगती हैं जैसे किसी और की कहानी।
भीड़ में भी अक्सर तन्हा लगे,
क्योंकि सब चेहरे नकाब में सजे।
सच्चाई ढूँढने निकला जब दिल,
हर जुबां पे मिलते रहे झूठ के सिलसिले।
पर फिर भी उम्मीद ने ना छोड़ा साथ,
हर अंधेरे में दिखा कोई उजाला-सा हाथ।
खुद से खुद की बातों का सहारा लिया,
और अकेले ही जीना दोबारा सीखा।
कुछ लोग आए, कुछ छोड़ गए,
कुछ अपने थे, कुछ धोखा दे गए।
पर हर रिश्ते ने सिखाया कुछ नया,
कौन अपना है और कौन पराया।
ज़िंदगी किताब है, हर पन्ना खास है,
हर आँसू के पीछे छुपी कोई आस है।
हार में भी एक जीत का मौका छुपा है,
बस खुद पर यकीन हो तो हर घाव भी दवा है।
चलते रहो, रुकना नहीं,
क्योंकि मंज़िलों को है बस इंतज़ार इसी यकीन का।
जो हिम्मत से चलता है, वो हारता नहीं,
जो खुद से लड़ता है, उसे कोई तोड़ता नहीं।
ये वक्त है, बदलता रहेगा,
जो आज अधूरा है, कल पूरा रहेगा।
तो चलो लिखें एक नई कहानी,
जहाँ आँसू भी हो मुस्कान की निशानी।
ज़िंदगी, तुझे जीना अब आ गया है,
हर मोड़ पे खुद को अपनाना आ गया है।
न शिकायत है, न कोई मलाल,
बस तेरा हर पल अब है बेमिसाल।