मोर मुकुट सिर, हाथ में बंसी, वृंदावन की शोभा निराली।
गोपियाँ रीझीं रास रचाए, मधुर हुई हर एक रसलीला खाली।
कालिया नाग पर नृत्य रचाया, यमुना जल को पावन कर डाला।
गिरधर बन गोवर्धन उठाया, इंद्र का अभिमान भी चकनाचूर डाला।
माखन चुराया, मुरली बजाई, बाल लीलाएँ सबको भाईं।
हर लीला में प्रेम छुपा था, कृष्ण ने दुनिया को भक्ति सिखाई।