ख़याल कुछ ऐसे है, कुछ कह नहीं सकता।
आप बहुत अजीज है, कुछ ले नहीं सकता।
आफ्ते बन गयी जो, करीब ही ठहर गयी,
और हकीकत मे , सागर मे वेह नहीं सकता।
ख़याल कुछ ऐसे है, कुछ कह नहीं सकता।
टूटना ही था कमबख्त, तो दिल जोड़ा कयो ?
अकेला हूँ आज, जयादा मै रह नहीं सकता।
मर जाऊ यही सोचते, उम्र बीत चली आपनी,
वसीयत जो कि हमने, तकसीम दें नहीं सकता।
ख़याल कुछ ऐसे है, कुछ कह नहीं सकता।