Hindi Quote in Story by Rohan Beniwal

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“बाबू मोशाय! दो कटिंग देना, और वो बिस्कुट भी जो तुम छुपाकर रखते हो,”
गोलू ने हँसते हुए आवाज़ लगाई।

गोलू—आठवीं का छात्र और मोहल्ले का सबसे शरारती बच्चा।
बाबू मोशाय—साठ पार के बंगाली दादा, जो पिछले तीस सालों से ये छोटा सा चाय का खोखा चला रहे थे।

उनकी चाय में कुछ तो था... नशा नहीं, मगर यादें घुलती थीं उसमें।

आज की सुबह थोड़ी अलग थी। चाय के स्टॉल पर भीड़ नहीं थी, और बाबू मोशाय एक तस्वीर में खोए हुए थे।

गोलू पास आया, देखा तो फोटो में एक जवान बाबू मोशाय और एक औरत... हँसते हुए।

“कौन है ये?” गोलू ने पूछा।

बाबू मोशाय मुस्कराए। “शांति। मेरी पहली और आख़िरी मोहब्बत। पचास साल पहले स्टेशन पर चाय पीते वक्त मिली थी। फिर नौकरी, शहर, दूरियाँ... लेकिन मैंने हर दिन उसके लिए एक कप चाय ज़रूर बनाई। आज... उसकी बरसी है।”

गोलू कुछ नहीं बोल पाया।

बाबू मोशाय ने दो कप चाय बनाई।
एक खुद पी, दूसरा तस्वीर के सामने रख दिया।

“वो अब भी यहीं बैठती है, बस तुम लोग देख नहीं पाते।”

Hindi Story by Rohan Beniwal : 111977345

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