जब छोड़ चलु इस दुनियाँ को,
होठों पे नाम तुम्हारा हो,
चाहे स्वर्ग मिले या नर्क मिले,
ह्रदय में वास तुम्हारा हो।
तन श्याम नाम की चादर हो,
जब गहरी नींद में सोया रहू,
कानों में मेरे गुञ्जित हो,
कान्हाँ बस नाम तुम्हारा हो,
जब छोड़ चलूँ इस दुनियाँ को,
होठों पे नाम तुम्हारा हो।
रस्ते में तुम्हारा मंदिर हो,
जब मंजिल को प्रस्थान करूँ,
चौख़ट पे तेरी मन मोहन,
अंतिम प्रणाम हमारा हो,
जब छोड़ चलूँ इस दुनियाँ को,
होठों पे नाम तुम्हारा हो।
उस वक्त कन्हैया आ जाना,
जब चिता पे जाके शयन करूँ,
मेरे मुख में तुलसी दल देना,
इतना बस काम तुम्हारा हो,
जब छोड़ चलूँ इस दुनियाँ को,
होठों पे नाम तुम्हारा हो,
ग़र सेवा की मैंने तेरी,
तो उसका ये उपहार मिले,
इस हर्ष भगत का साँवरिये,
नही आना कभी भी दौबारा हो,
जब छोड़ चलूँ इस दुनियाँ को,
- Umakant