यूँ तो मुश्किल होता
तुम से दूर जाना, मेरी जान
पर,
"अब तुम किसी और के हो"
ये चोट दिल को दे दी,
यूं तुम से रिहाई ले ली...
रोज़ रोज़ टूटते रहे
चाह में तेरी, पर जब
तेरी चाहते ही हैं,
किसी और के लिए
तो तुमसे ये जुदाई सह ली...
मुझे पता हैं
मेरी जान भी चली जाती
तुम्हे कोई फ़र्क नहीं पड़ता,
पर कुछ रिश्ते नाते और भी हैं
उन फ़र्ज़ो की खातिर,
हमने ये ज़िंदगी जी ली...