✤┈SuNo ┤_★_🦋
मैं माहिर-ए-जुबान तो कभी न था फिर
क्यों तुम मुझसे नाराज हुए जाते हो,
मैं खुद से कहां खुश रहता हूं तुम क्यों
शर्म से बेआवाज हुये जाते हो,
क्या करूं मैं इस न शुक़्री ज़ुबाँ का जो
न हो कहना वही कह जाती है,
कभी बुलंद आवाजों में खो जाती है तो
कभी खामोशी में बुलुंद हो जाती है,
कभी सोचता हूं जो चुप हो गया तो
कौन मुझसे हाल-ए-जिंदगी पूछेगा,
जो कह दूंगा मैं बात दिल की तो है
भला क़िसमें दम जो हालात से जूझेगा,
मुझे और मेरी जुबान को साथ ही
रहने दो तुम न घबराओ मेरा ये काम
तो रहने दो,
ये चुप भी रहती है और फिर भी कह
जाती है, मेरी बर्दाश्त से जुड़ी है उसी
हिसाब से चल जाती है,
मैं माहिर-ए-जुबान तो कभी न था फिर
क्यों तुम मुझसे नाराज हुए जाते हो.🔥
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@LoVe_AaShiQ_SinGh
⎪⎨➛•ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी°☜⎬⎪
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