अनमोल' अपने आप से
कब तक लड़ा करें
जो हो सके तो अपने
भी हक़ में दुआ करें
हम से ख़ता हुई है
कि इंसान हम भी हैं
नाराज़ अपने आप से
कब तक रहा करें
अपने हज़ार चेहरे हैं,
सारे हैं दिलनशीं
किससे वफ़ा निभाएं तो
किससे जफ़ा करें
नंबर मिलाया फ़ोन पे
दीदार कर लिया
मिलना हुआ है सह्ल तो
अक्सर मिला करें
तेरे सिवा तो अपना
कोई हमज़ुबां नहीं
तेरे सिवा करें भी तो
किस से ग़िला करें
दी है क़सम उदास
न रहने की तो बता
जब तू न हो तो कैसे
ये हम मोजिज़ा करें
🥵
- Umakant