मैं और मेरे अह्सास
बड़ी चीड़ आ जाती है जब देखते हैं कि l
हर बार मुलाकात पर पशेमान देखकर ll
बड़े चाव से सम्भाल कर रखा था कब से l
रूह चिड़चिड़ी हो गई गुलिस्तान देखकर ll
वैसे तो दिल उखड़ा उखड़ा रहता है पर l
रूहानी सुकुनियत मिली जान देखकर ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह