मैं और मेरे अह्सास
प्यार मोहब्बत में धारियाँ नहीं चलती l
महफिल में तो सरदारर्याँ नहीं चलती ll
मटकियों के साथ पनघट से जाते वक्त l
मटक मटक के पनहारियाँ नहीं चलती ll
कमाल का ताना दिया है नजरों ने भी l
अब निगाहोंसे तरफ़दरियाँ नहीं चलती ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह