दर्दे दिल शायरी
भर जाएंगे ज़ख़्म तो आऊँगा दोबारा
मैं हार गया जंग मगर दिल नहीं हारा॥
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आंसू बहाने से कोई अपना नहीं होता
जो अपना होता है वह रोने नहीं देता॥
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चुभती है तेरी बेवफ़ाई तीर की तरह
फिर भी चुप हूं अपनी तक़दीर की तरह..॥
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गुजर जाता है सारा दिन दिखाने की हंसी में
रात होते ही रो पडते है खुद की बदनसीब पे॥
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आजकल लोग धोखा भी धोके से देते हैं
मुंह पर प्यार जताते हैं और
पीठ पीछे कहीं और दिल लगाते है…॥
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- Umakant