कहते हैँ तकलीफ कुछ पलो के होते हैँ
फिर खुशियां इतनी मिलती हैँ के हम उन तकलीफो को भूल जाते हैँ
पर पता नहीं क्यों तकलीफ इस कदर हैँ
के मन मे हज़ारो सवाल चल रहे हैँ
दिल मे बहुत सारी बातें हैँ
ज़ुबान खामोश हैँ, आँखे नम हैँ
अपने हाले दिल बयान किस्से करू?.??
कोई हैँ नहीं सुनने वाला
और ना समझने वाला
- SARWAT FATMI