इस्म में जादू की लहर, बखुब सितारों का राज फेर है
जो सोचा था डर ही, अब भी हयात है ये अंदाज़ देर है
बोहत कुछ मिटाया था उन्हें, तारीकियों में रूकन किया,
मगर कोई कह दे उनको, जादू को कब जबाव देर है
तेरी यादों का जलवा है, रिश्तों में जो घुल गया तो,
इश्क की आग में हम जिंदा, जो हर पल में देर है।
जिसने आग को बुझाना था, वही खुद जल गया,
मुझ में एक कयामत है, वक्त की कभी ना देर है।
तेरे लिए हर बार लिखा है, ख्वाबों का रिसाला,
आज कुछ अलग है, खो गया हूं कुछ ना देर है।
मैं फ़रामोश नहीं कर सकता, इस दर्द की साज़िश है,
तेरे जुल्फों का एक ख़म है, मेरी तकदीर या देर है।
ख़यालों में गूंजा है, ऐ तिरा संगतर ए दर्द,
आँखों में है आग तेरी, पर लम्हा भर देर है।
ऐ ’दीदार ए शोक तुझ से राह का रुका हूं मैं,
वक्त पे चल कर, अब भी खुद में गुस्सा देर है।
तेरे हाथों की तफ़सीर, वो कमबख्त जो है याद,
रातों है उजाला, शम्स ए कमर दिलों में देर है।
कुछ अरमान है बंदिश, कुछ हाथों का सिलसिला,
जिस्म के सुर्खरंग में है, चश्म ए नूर एक देर है।
ये सफर है बयान, ना गर है खौफ ए दास्तां,
जो गुजर गया है सददा, हमारे बीच है देर है।
तेरे साथ चलने का अरमान, ना मुरादी इम्तिहान,
मगर अब भी है ज़िंदा, सउर था कहा, वो देर है।
वो मंज़र है बयान, जो जल गया है अब शायद,
मगर जो बच गया है, वो है परवाज को देर है ।
क़लम कैसे बनता है हर राज़, सिर्फ़ तेरी अदा का वाज़,
अब भी लिखता हूँ तेरा नाम, मिजाज ए दाद जो देर है ं
फ़ना सब कुछ, मगर तेरे नाम का ग़म ए खैर है,
जो मेरी तकदीर, सिर्फ तेरे ग़म ए मदहोश देर है।
-------------
लोकः समस्ताः सुखिनो भवन्तु में समाहित सहज सनातन और समग्र समाज में आदरजोग सहित सप्रेम स्वरचित - आदर सहित परिचय मैं जुगल किशोर शर्मा, बीकानेर में रहता हूॅं लेखन का शौक है मुझे स्वास्थ्य,सामाजिक समरसता एंव सनातन उद्घट सात्विकता से वैचारिकी प्रकट से लगाव है, नियमित रूप से लिंक्डिंन,युटूयूब,मातृभारती, अमर उजाला में मेरे अल्फाज सहित विभिन्न डिजीटल मीडिया में जुगल किशोर शर्मा के नाम से लेखन कार्य प्रकाशित होकर निशुल्क उपलब्ध है समय निकाल कर पढें ।
आदर सहित परिचय मैं जुगल किशोर शर्मा, बीकानेर