"वक्त के इंतजार में चलता गया"
हर बार की तरह वक्त गुजर गया,
बीते दिनों का कल गुज़र गया।
आँखों में हैं ख्वाब, मगर दिल में है दुःख
फिर भी वक्त के इंतजार में चलता गया।
अपनी नाकामियों का अफसोस है मुझे,
निराशावादी बनने में वक्त लग गया
हां, मैं निराश हूं, साथ साथ आशा भी है
मंजिल खोजते खोजते आशावादी बन गया।
अधूरे सपने, खोई हुई राहें,
तेरा मेरा रिश्ता, न जाने कितनी बाहें।
हर मोड़ पर मिले हैं नये सबक,
फिर भी उम्मीद का दीप जलाता गया।
समय की धारा में तस्वीरें बनती हैं,
खुशियाँ भी आती हैं, ग़म भी संग लाती हैं।
शायद यही है जिंदगी का जादू,
सपने अधूरे, पर जीना सिखाता गया।
हर बार की तरह वक्त गुजर गया,
बीते दिनों का कल गुज़र गया।
मेरे इरादे न हों कमजोर कभी,
बस वक्त के इंतजार में चलता गया।
- कौशिक दवे
- Kaushik Dave