ज़ब हम्म अपने लिए गुहार लगाते रहे....
तब बड़े लोगो ने और नेताओं ने हमारी तरफ देखा तक नहीं.....
ज़ब हम चाहते थे कोई देखे हमारे हाल...
तब हर किसी को हमारे घर आने से होता था निचपन महसूस.....
ज़ब आशा भरी नजरो से देखते थे हम उनको समझ कर अपना...
तब उन लोगो ने हमें अपनी नजरो से दूर फिकवा दिया था......
.
.
.
.
.
.
लेकिन अब देखो ना साहब..
आज तो हम गए भी नहीं उनके द्वार दरकार लेकर....
वो आये हमारे दर सिर्फ इसलिए ताकि हमें ही मोहरा बनाकर अपना महल खड़ा कर सके....
क्या खूब है ना राजनीती का खेल.....?????
- piku