पहले दूरियों की जगह नहीं थी
और अब दूरियां काफ़ी होगयी हैँ
माना के मैं आपके तक़दीर में नहीं
पर अफ़सोस तुमने वक़्त नहीं दिया समझाने क़ो
हाला की ना तुम हो, ना तुम्हारा msg
पर आज भी अपने देहलीज़ पर तेरे आने का इंतेज़ार करती हूँ
बहुत किसी ने चाहा के तुम्हारा वक़्त किसी और क़ो देदू
पर जो तुम्हारा हैँ वो सिर्फ तुम्हारा ही रहेगा
- SARWAT FATMI