तेरे लिए चले थे हम तेरे लिए ठहर गए तू ने कहा तो जी उठे तू ने कहा तो मर गए
कट ही गई जुदाई भी कब ये हुआ कि मर गए तेरे भी दिन गुज़र गए मेरे भी दिन गुज़र गए
तू भी कुछ और और है हम भी कुछ और और हैं जाने वो तू किधर गया जाने वो हम किधर गए
राहों में ही मिले थे हम राहें नसीब बन गई वो भी न अपने घर गया हम भी न अपने घर गए
वक़्त ही जुदाई का इतना तवील हो गया दिल में तिरे विसाल के जितने थे ज़ख़्म भर गए
होता रहा मुक़ाबला पानी का और प्यास का सहरा उमड उमड पड़े दरिया बिफर बिफर गए
वो भी गुबार-ए-ख़्वाब था हम भी गुबार-ए-ख़्वाब थे वो भी कहीं बिखर गया हम भी कहीं बिखर गए
कोई कनार-ए-आबजू बैठा हुआ है सर-निगूँ कश्ती किधर चली गई जाने किधर भँवर गए
आज भी इंतिज़ार का वक़्त हुनूत हो गया ऐसा लगा कि हश्न तक सारे ही पल ठहर गए
बारिश-ए-वस्ल वो हुई सारा गुबार धुल गया वो भी निखर निखर गया हम भी निखर निखर गए
आब-ए-मुहीत-ए-इश्क़ का बहर अजीब बहर है तैरे तो ग़र्क हो गए डूबे तो पार कर गए
इतने करीब हो गए अपने रक़ीब हो गए वो भी 'अदीम' डर गया हम भी 'अदीम' जर गए
उस के सुजूक पर अदीम' अपनी हयात ओ मोत है
यो जो मिला तो जी उठे वो न मिला तो मर गए
- piku