दुनियादारी का यह अजब ही रिश्ता है जो भी मर गया यहां वो ही फ़रिश्ता है
एक कोई है जो भर-भर कर पीता है एक कोई है जो एक बूंद को तरसता है
चलना तो चाहता हूं मैं भी साथ सबके पर दुनिया से मेरी ज़रा चाल आहिस्ता है
मेरे हक में तो, वीरां दश्त-ओ-सहरा है जाने किसके हक, गुल-ओ-गुलिस्तां है
जब भी रात आती है राम चले आते हैं न जाने ग़मों से रात का क्या बावस्ता है
खूब चलन चला इश्क में बेवफ़ाई का अबके वफा-ए-इश्क की हालत खस्ता है
- piku