हिजरतों का ज़माना भी क्या ज़माना है उन्हीं से दूर हैं जिन के लिए कमाना है
ख़ुशी ये है कि मिरे घर से फ़ोन आया है सितम ये है कि मुझे खैरियत बताना है
हमें ये बात बहुत देर में समझ आई वहीं तो जाल बिछा है जहाँ भी दाना है
हमें जला नहीं सकती है धूप हिजरत की हमारे सर पे ज़रूरत का शामियाना है
नमाज़ ईद की पढ़ कर मैं ढूँढता ही रहा कहीं दिखे कोई अपना गले लगाना है
वहीं वहीं लिए फिरती है गर्दिश-ए-दौराँ जहाँ जहाँ भी लिखा मेरा आब-ओ-दाना है
- piku