ना बंदिशे हो, ना हो कोई पिंजरा
मैं उडु आसमान में,वही हो मेरा बासिन्दा
ना समाज हो, ना उनके वो चार लोग
मैं जियूँ अपने शर्तों में, ना कोई हो पिंजरा
तू रुक जा, तू थम जा, बस कहता ये जमाना
तुम देख ना सको , इतने अरमान है इस दिल मे,
ना ओर है ना छोर है, रुकने का नही ठिकाना
अब ना रुक सकू, ना थम सकू, तुम रोक के दिखाना
है घोर निष्ठा मन मे मेरे , तुम तोड़ के दिखाना
पंछी हूँ मैं आसमान की, तुम रोक के दिखाना
मैं उड़ चली मैं उड़ चली , ओ खोखला जमाना
Shweta ✍️