दिल अपना और प्रीत पराई
किस ने हैं ये, रीत बनाई
आँधी में एक दीप जलाया
और पानी में, आग लगाई...
है दर्द ऐसा के सहना हैं मुश्किल
दुनियाँवालों से कहना हैं मुश्किल
घिर के आया हैं तूफ़ान ऐसा
बच के साहिल पे रहना हैं मुश्किल...
दिल को संभाला ना दामन बचाया
फ़ैली जब आग तब होश आया
गम के मारे पुकारे किसे हम
हम से बिछड़ा हमारा ही साया...
💕
- Umakant