मैं और मेरे अह्सास

रूक जाओ अभी के दिल अभी भरा नहीं l
जीभर के दीदार ए यार अभी किया नहीं ll

आए हुए लम्हा भर हुआ नहीं के जाना हैं l
दो लम्हा भी प्यार की छांव में जिया नहीं ll

शर्मा हया के पर्दे में छुपाया है हसीं मुखड़ा l
निगाहों से चाहतों का जा जाम पिया नहीं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111949184
New bites

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