रो कर थोड़ा सुकून और तकलीफें कम लगता है
होठों पर मुस्कान होते हुए भी
आंखों में किसी की कमी नजर आता है
सूनापन महसूस कुछ इस तरह से होता है
जैसे मैं बिखर कर टूटने वाली हूं
पर देखो ना आंखों से बहता पानी भी कम लगता है
आसूं छुपाने की नाकाम कोशिश हर रोज होती है
कोई पहचान न ले ,
दिन में तारों से भी शिकायत करने का दिल करता है
Manshi K