मैं और मेरे अह्सास
ज़मीं से आसमाँ में आशियाना फेरबदल कर दिया l
खुद को नई दुनिया में बसने को तैयार कर लिया ll
सालों से लगातार एक ही जुस्तजू थी जो पूरी हुई तो l
सफ़लतापूर्वक पहुंचने के लिए खुशी का जाम
पिया ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह
- Darshita Babubhai Shah