घर जो बड़ी-बड़ी दीवारों से बना है जिसमें बहुत सारे कमरे हैं वह घर ,घर नहीं। बल्कि घर तो तब बनता है, जब उसमें रहने वाले सभी परिवार के लोग एक साथ रहते हैं, प्यार से रहते हैं । फिर वह चाहे कहीं भी हो , चाहे वह एक कराई के घर पर हो जा एक रास्ते पर खड़े हो। जिस जगह वह एक दूसरे के साथ मिलकर खड़े होते हैं, आपस में मिलकर चलते हैं , तब वह जगह घर बन जाती है।
ईटों से बना घर ,घर नहीं बल्कि एक मकान होता है। घर तो उसमें रहने वाले लोग जब एक दूसरे के साथ और प्यार से मिलकर रहते हैं, तब उसे घर बनाते हैं। प्यार घर से नहीं बल्कि घर में रहने वाले अपनों से होना चाहिए। तभी वह घर घर बनता है। navdip