*दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*पीहर, भादों, कजरी, बदरी, पपीहा*
सावन भादों में सजन, जाना *पीहर*-देश।
भूली-बिसरी याद कर, दूर हटेंगे क्लेश।।
*भादों* की बरसात में, त्यौहारों की धूम।
सखियाँ झूला झूलतीं, नीले-नभ को चूम।।
पीहर में सखियाँ मिलीं, गातीं *कजरी* गीत।
बचपन की यादें भली, मिले पुराने मीत।।
*बदरी* बन कर छा गए, राह देखती द्वार।
भादों गुजरा जा रहा, यौवन लगता भार।।
प्रेम *पपीहा* गा रहा, प्रिय बिन निकले जान।
आम्र कुंज में जा छिपा, छेड़ रहा मृदु तान।
मनोज कुमार शुक्ल *मनोज*