मैं और मेरे अह्सास
कान्हा की बांसुरी के सुरों ने वृंदावन को दिवाना बनाया हुआ हैं l
दिन का हर पल हर लम्हा उत्साह से उत्सव जैसे मनाया हुआ हैं ll
शीतल लहरों में मस्त, आधी मगन, लजाती, शर्माती, पलकें झुकाए l
राधा औ गोपियों का दिवानापन कृष्ण ने
प्यार से संभाला हुआ हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह