मैं और मेरे अह्सास

कान्हा की बांसुरी के सुरों ने वृंदावन को दिवाना बनाया हुआ हैं l
दिन का हर पल हर लम्हा उत्साह से उत्सव जैसे मनाया हुआ हैं ll

शीतल लहरों में मस्त, आधी मगन, लजाती, शर्माती, पलकें झुकाए l
राधा औ गोपियों का दिवानापन कृष्ण ने
प्यार से संभाला हुआ हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111948239
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