यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिभर्वति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृज़ाम्ह्यम !! 4 - 7 !!
परित्राणाय साधूनां विनाशय च दुर्षकृतामम् !
धर्मसंस्थापनाथाँय संभवामी युगे युगे !! 4 - 8 !!
शब्दार्थ -
मे प्रकट होता हु, मे आता हूँ, जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब मे आता हूँ, जब जब अधर्म बढता हे तब तब मे आता हूँ, सज्जन लोगो की रक्षा के लिए में आता हूँ,
दुष्टो के विनाश के लिए में आता हूँ, धर्म की स्थापना के लिए में आता हूँ, ओर युग युग में जन्म लेता हूँ।
श्री कृष्ण जन्मोत्सव की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।
जय श्री कृष्ण 🙏🙏🙏
राधे राधे 🙏