विषय - कृष्ण साथ
सभी लोग जब साथ छोड़ते,
हिम्मत टूट जाती है सारी।
आशा का एक दीप बनकर,
हाथ पकड़ते तुम बनवारी।।
अंधेरी राह में किरण दिखाते,
नई लॉ जगाने की करो तैयारी।
साथ तुम्हारे मैं, खड़ा हूं पार्थ,
कठिन समय हो,चाहें जितना भारी।।
मुश्किल समय ही बतलाता,
किससे किसकी कितनी यारी।
मिलावट की इस दुनियां में,
रंग दिखाते है,सब बारी बारी।।
तुम्हारा ही सहारा है कन्हैया,
पग पग साथ चलना हमारी।
गलत सही का मार्गदर्शन करके,
सारथी हमारे बनना,चक्रधारी।।
किरन झा (मिश्री)
ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
- kiranvinod Jha