घूमा बहुत विदेश में....
घूमा बहुत विदेश में, मिला मुझे यह ज्ञान।
मेरा *भारतवर्ष* यह, जग में बड़ा महान।।
विविध संस्कृतियाँ बसीं, हिल-मिल रहते लोग।
हैं *स्वतंत्र* सब जन सभी, पाते अमृत भोग।।
अमृत वर्ष मना रहे, हम भारत के लोग।
प्रगति राष्ट्र उत्थान में, मिल-जुल करते योग।।
विश्व जगत में बन गई, *स्वाभिमान* पहचान।
अर्थ व्यवस्था पाँचवीं, अब भारत की शान।।
आजादी का *पर्व* यह, संस्कृति का ही पर्व।
सत्य सनातन परंपरा, हम सबको है गर्व।।
फहराया है देश में, आज *तिरंगा* देख।
देश भक्ति की भावना, खिची बड़ी है रेख।।
अठत्तरवाँ यह पर्व है, मना रहे हम आज।
देश प्रेम में हम पगे, *लोकतंत्र* सरताज।।
शस्य श्यामला है धरा, मिली *सनातन* राह।
कभी तिरंगा झुके न, भारत की यह चाह।।
मनोजकुमार शुक्ल "मनोज"