मैं और मेरे अह्सास
महफिलों में मय से पूजन की शुरुआत करो l
प्रेम में नशीली छलकती छलकाती रात करो ll
पर्दानशी आए हों तो छोटीसी गुफ्तगू हो जाए l
दिल बहलाने के लिए कोई रसीली बात करो ll
देखे तो सही निगाहों से कितना पिलाते है l
आज पीने की प्रतियोगिता में मात करो ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह