मैं और मेरे अह्सास
मन गंगा जैसा पवित्र होना चाहिये l
उच्च संस्कारो को बोना चाहिये ll
पल पल विश्वास का अर्थ मिले l
सदा नेक चरित्र संजोना चाहिये ll
पावन माँ गंगा के निर्मल जल से l
पापी तन मन को भिगोना चाहिये ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह
- Darshita Babubhai Shah